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भारत के वायुसेना के प्रमुख ने कहा है कि सरकार को सूचना मिली है कि ‘आतंकवादी भारत में 9/11 की तरह हवाई हमलों की योजनाएँ’ बना रहे हैं.

वायुसेना प्रमुख फाली होमी मेजर ने गुरुवार को कहा है कि सरकार को ऐसी सूचना मिली है और इसके लिए तैयारी पूरी कर ली गई है.

ख़बरें हैं कि इन सूचनाओं के बाद भारत से सभी बड़े हवाई अड्डों पर सुरक्षा व्यवस्था और सतर्कता बढ़ा दी गई है.

इसी तरह की चेतावनी की बात बुधवार को रक्षामंत्री एके एंटनी ने भी कही थी.

वायुसेना प्रमुख ने कहा कि बुधवार को ही सेना के तीनों कमान के प्रमुखों की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी.

सुरक्षा

रक्षामंत्री एके एंटनी ने बैठक में सेना के तीनों प्रमुखों को बताया था कि ऐसी सूचना है कि भारत में चरमपंथी अमरीका में हुए 9/11 की तरह हवाई हमले कर सकते हैं.

समाचार एजेंसियों के अनुसार ख़ुफ़िया तंत्र ने सूचना दी थी कि बाबरी मस्जिद ध्वंस की बरसी पर चरमपंथी भारत में हमला करने के लिए प्रवेश कर सकते हैं.

इस सूचनाओं के बाद दिल्ली, बंगलौर और चेन्नई हवाई अड्डों पर सुरक्षा और सतर्कता बढ़ा दी गई है.

बुधवार को हुई बैठक में रक्षामंत्री एके एंटनी ने सुरक्षा एजेंसियों और ख़ुफ़िया विभागों के बीच तालमेल बढ़ाने की भी बात कही थी जिससे कि ख़ुफ़िया सूचनाओं पर कार्रवाई की जा सके.

वे चाहते थे कि सेना तटीय इलाक़ों में और वायुमार्गों पर सतर्कता बढ़ाए जिससे कि किसी भी चरमपंथी हमले को नाकाम किया जा सके.

rally
मुंबई में हुए हमलों के ठीक एक हफ़्ते बाद बुधवार की शाम गेटवे ऑफ़ इंडिया और ताज महल होटल के आसपास हज़ारों हज़ार लोगों ने रैली निकाल कर एकजुटता का प्रदर्शन किया है.

दूसरी तरफ़ छत्रपति शिवाजी टर्मिनल (सीएसटी) पर दो बम मिले हैं जिन्हें निष्क्रिय कर दिया गया है.

ताज के पास मौजूद बीबीसी संवाददाता पाणिनी आनंद का कहना है कि रैली में शामिल लोगों के हाथों में तख़्तियाँ और बैनर थे, जिन पर लिखा है. ‘मुंबई मेरी जान’, ‘आई लव माई मुंबई’ और ‘ऐनफ़ इज़ ऐनफ़’. बहुत से लोगों के हाथों में तिरंगा झंडा भी था.

मीडिया का आभार

प्रदर्शनकारियों ने कुछ तख़्तियाँ पर मीडिया का आभार व्यक्त किया गया था और लिखा गया था, ‘देश के नेताओं और प्रशासन की कलई खोलने के लिए धन्यवाद’.

नेताओं और सरकारी अधिकारी की लापरवाही के ख़िलाफ़ गुस्सा प्रकट करने के साथ-साथ चरमपंथियों को ये बाताना के लिए आए हैं कि वो हमले करके मुंबई को बांट नहीं सकते हैं और न ही मुंबई की स्पिरिट को कम नहीं कर सकते हैं

प्रदर्शनकारियों का बयान

रैली में सभी वर्ग के लोगों ने हिस्सा लिया. जिनमें छात्र, स्वयंसेवी संगठन के लोग, प्रोफ़ेसर, बुद्धिजीवी, पेज़ थ्री की शख़्सियतें, उद्यमी और बॉलीवुड के सितारे भी शामिल थे.

इस रैली की ख़ास बात इस में शामिल लोगों का कहना था कि वो किसी राजनीतिक पार्टी या किसी संगठन के बुलावे पर नहीं आए हैं बल्कि वो अपनी अंतरआत्मा की आवाज़ पर यहाँ आए हैं.

रैली में सभी विचारधारा के लोगों ने हिस्सा लिया है. नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) के बच्चों ने भी इस रैली में भाग लिया है और ये बच्चे एनसीसी की पोशाक में थे.

लोगों का कहना है का देश में सकल घरलू उत्पाद की विकास दर आठ प्रतिशत है लेकिन देश में आतंकवाद की बढ़ोत्तरी दर 100 प्रतिशत है.

इस रैली में कहीं कोई मंच नहीं सज़ा हुआ था और न ही कहीं कोई भाषणबाज़ी हुई. लोग मोमबत्तियाँ जलाकर मरने वालों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहे थे.

रैली में शामिल लोगों से जब रैली के मक़सद के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था, ” हम नेताओं और सरकारी अधिकारी की लापरवाही के ख़िलाफ़ गुस्सा प्रकट करने के साथ साथ चरमपंथियों को ये बाताने के लिए आए हैं कि वो हमले करके मुंबई को बांट नहीं सकते हैं और न ही मुंबई की ‘स्पिरिट’ को कम नहीं कर सकते हैं.

dhoni

भारत के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अपनी शानदार बल्लेबाज़ी की वजह से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की वनडे रैंकिंग में पहले स्थान पर जमे हुए हैं.

जबकि ज़हीर ख़ान शीर्ष 10 गेंदबाज़ में शामिल होने से सिर्फ़ एक स्थान पीछे हैं.

आईसीसी ने जो ताज़ा रैंकिंग जारी की है, उसके अनुसार धोनी के अलावा युवराज सिंह छठे स्थान पर हैं और सचिन तेंदुलकर 12वें स्थान पर हैं.

ऑस्ट्रेलिया के नाथन ब्रैकन वनडे में गेंदबाज़ों की रैंकिंग में शीर्ष पर हैं.

उनके बाद दूसरे स्थान पर न्यूज़ीलैंड के कप्तान डेनियल विटोरी हैं.

उल्लेखनीय है कि वनडे के 10 बल्लेबाज़ों के क्रम में कोई बदलाव नहीं आया है.

धोनी के बाद ऑस्ट्रेलिया के माइकल हसी और दक्षिण अफ़्रीका के ग्रीम स्मिथ का नंबर है.

महेंद्र सिंह धोनी वर्ष 2006 में थोड़े समय के लिए नंबर वन हुए थे लेकिन वो इस स्थान को बरक़रार नहीं रख पाए थे.

ग़ौरतलब है कि भारत ने इंग्लैंड के ख़िलाफ़ वनडे सिरीज़ में शानदार प्रदर्शन किया और उसने खेले गए चारों मैचों में जीत हासिल की.

इस सिरीज़ में भारतीय कप्तान ने न केवल बल्लेबाज़ी में बल्कि विकेटकीपिंग में भी अपना कमाल दिखाया है.

वर्ष 2008 में धोनी रन बनाने के मामले में शीर्ष पर हैं, साथ ही विकेटकीपिंग में भी उन्होंने श्रेष्ठ प्रदर्शन किया है.

इसके पहले दक्षिण अफ़्रीका के कप्तान ग्रैम स्मिथ रैंकिंग में पहले स्थान पर थे.

मुंबई में हुए सुनियोजित चरमपंथी हमले की नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए विलासराव देशमुख ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया है.

देशमुख ने गुरुवार को अपना इस्तीफ़ा राजभवन में राज्यापाल एससी जमीर को सौंपा. राज्यपाल ने उनका इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया है और वैकल्पिक व्यवस्था होने तक पद संभालने को कहा है.

राज्यपाल को इस्तीफ़ा सौंपने के बाद देशमुख ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए दो बार राज्य की ज़िम्मेदारी सौंपने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रति आभार जताया.

सबसे दुखद

उन्होंने कहा, “लोकतंत्र में हमें लोगों की नाराज़गी का सम्मान करना चाहिए.”

मुंबई पर हुए चरमपंथी हमले को अपने कार्यकाल का सबसे दुखद क्षण बताते हुए देशमुख ने कहा, “हम बहुत से लोगों की जान नहीं बचा सके.”

हमलों के बाद ताज होटल के दौरे के समय निर्माता-निर्देशक राम गोपाल वर्मा को अपने साथ ले जाने को देशमुख ने ‘एक भूल’ बताया.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस आलाकमान के मुख्यमंत्री बदलने के फ़ैसले से राज्य सरकार में सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का कोई लेना-देना नहीं है.

मैंने बहुत समय तक सरकार में काम किया है और अब मेरी यह ज़िम्मेदारी है कि मैं पार्टी के लिए काम करूं

विलासराव देशमुख

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “मैंने बहुत समय तक सरकार में काम किया है और अब मेरी यह ज़िम्मेदारी है कि मैं पार्टी के लिए काम करूं”

उन्होंने कहा कि अब पार्टी ही यह फ़ैसला करेगी कि मुझे लोकसभा का चुनाव लड़ना है या कोई और चुनाव.

उन्होंने विश्वास जताया कि कांग्रेस-एनसीपी के गठबंधन वाली सरकार में किए गए विकास कार्य कांग्रेस को अगला चुनाव जिताने में मदद करेंगे.

नए नेता का चयन

जब उनसे राज्य के अगले मुख्यमंत्री के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस पर अंतिम फ़ैसला विधायक और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी करेंगी.

महाराष्ट्र के प्रभारी एके एंटोनी ने बुधवार को दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि पार्टी हाईकमान ने विलासराव देशमुख को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने के लिए कहा है.

मुंबई में गुरुवार को विधायक दल की बैठक हो रही है. जिसमें विधायक दल के नए नेता का चयन किया जाएगा. बैठक में एके एंटोनी और प्रणव मुखर्जी भी मौज़ूद रहेंगे.

मुंबई हमलों को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सदस्य और उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री आरआर पाटिल के इस्तीफ़े के बाद मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख पर भी इस्तीफ़े का दबाव था.

इससे पहले इसी मामले को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने इस्तीफ़ा दिया था.


Major Sandeep Unnikrishnan


Hemant Karkare


Vijay Salaskar


Ashok Kamte


Mohan Chand Sharma

And also those whoes profile is not added but killed in terrorist attack.

कविः गोरख पांडे

हवा का रुख कैसा है, हम समझते हैं
हम उसे पीठ क्यों दे देते हैं, हम समझते हैं
हम समझते हैं ख़ून का मतलब
पैसे की कीमत हम समझते हैं
क्या है पक्ष में विपक्ष में क्या है, हम समझते हैं
हम इतना समझते हैं
कि समझने से डरते हैं और चुप रहते हैं.

चुप्पी का मतलब भी हम समझते हैं
बोलते हैं तो सोच-समझकर बोलते हैं
बोलने की आजादी का
मतलब समझते हैं
टुटपुंजिया नौकरी के लिए
आज़ादी बेचने का मतलब हम समझते हैं
मगर हम क्या कर सकते हैं
अगर बेरोज़गारी अन्याय से
तेज़ दर से बढ़ रही है
हम आज़ादी और बेरोज़गारी दोनों के
ख़तरे समझते हैं
हम ख़तरों से बाल-बाल बच जाते हैं
हम समझते हैं
हम क्यों बच जाते हैं, यह भी हम समझते हैं.

हम ईश्वर से दुखी रहते हैं अगर वह सिर्फ़ कल्पना नहीं है
हम सरकार से दुखी रहते हैं कि वह समझती क्यों नहीं
हम जनता से दुखी रहते हैं क्योंकि वह भेड़ियाधसान होती है.

हम सारी दुनिया के दुख से दुखी रहते हैं
हम समझते हैं
मगर हम कितना दुखी रहते हैं यह भी
हम समझते हैं
यहां विरोध ही बाजिब क़दम है
हम समझते हैं
हम क़दम-क़दम पर समझौते करते हैं
हम समझते हैं
हम समझौते के लिए तर्क गढ़ते हैं
हर तर्क गोल-मटोल भाषा में
पेश करते हैं, हम समझते हैं
हम इस गोल-मटोल भाषा का तर्क भी
समझते हैं.

वैसे हम अपने को
किसी से कम नहीं समझते हैं
हर स्याह को सफेद
और सफ़ेद को स्याह कर सकते हैं
हम चाय की प्यालियों में तूफ़ान खड़ा कर सकते हैं
करने को तो हम क्रांति भी कर सकते हैं
अगर सरकार कमज़ोर हो और जनता समझदार
लेकिन हम समझते हैं
कि हम कुछ नहीं कर सकते हैं
हम क्यों कुछ नहीं कर सकते
यह भी हम समझते हैं.

पोस्ट का शीर्षक निदा फ़ाज़ली की अनुमति के बिना उधार लिया गया है, उनसे समझदारी की उम्मीद के साथ.
http://anamdasblog.blogspot.com/

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने उन ख़बरों को ख़ारिज किया है कि वर्ष 2011 में होने वाला क्रिकेट विश्व कप दक्षिण एशियाई देशों के हाथ से निकल सकता है.

विश्व कप के आयोजन से जुड़े और पीसीबी के ‘चीफ़ ऑपरेटिंग ऑफ़िसर’ सलीम अल्ताफ़ ने समाचार एजेंसियों को बताया कि विश्व कप से संबंधित सारी तैयारियाँ पूर्ववत चल रही हैं.

उल्लेखनीय है कि मुंबई में हुए हमलों और पाकिस्तान में सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनज़र भारतीय उप महाद्वीप में होने वाले विश्व कप को लेकर चिंता जताई जा रही है.

ऑस्ट्रेलियाई मीडिया में इस तरह की ख़बर आई थी कि अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट कांउसिल इस बात पर विचार कर रही है कि विश्व कप का आयोजन भारतीय उप महाद्वीप से बाहर कहीं और हो.

विचार-विमर्श

इस मामले पर अगले सप्ताह केपटाउन में विश्व कप से जुडे मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की बैठक में विचार विमर्श होने की संभावना है.

वर्ष 2011 में होने वाले विश्व कप का आयोजन भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका संयुक्त रूप से करेंगे.

अल्ताफ़ ने बताया, “आईसीसी ने विश्व कप के लिए बनी संयुक्त समिति को तय सीमा के तहत कुछ जवाबदेही सौंपी थी जिस पर हम समय से काम कर रहे हैं.”

केपटाउन में मुख्य अधिकारियों की होने वाली इस बैठक में सलीम अल्ताफ़ भी हिस्सा लेंगे.

मुंबई में हुए हमलों का संबंध पाकिस्तान से होने के भारत के आरोपों की वजह से पाकिस्तान में लोग काफ़ी चिंतित और आशंकित हैं.

आरोप है कि आतंकवादी भारत के लिए कराची से ही रवाना हुए थे.

कराची में एक एयरलाइन के कर्मचारी ने कहा, “वे हमेशा हम पर ही क्यों दोष मढ़ते हैं? जब भी भारत में कुछ होता है, वे कहते हैं कि इसमें पाकिस्तान का हाथ है लेकिन उनको इसका कोई सबूत नहीं मिलता.”

एक बुटीक के मालिक उनसे सहमत हैं, “हर कोई हमारे पीछे पड़ा है.” उनके ग्राहक भी कहते हैं कि भारत बदला लेने के लिए ‘अपने एजेंटों की मदद से’ कराची में हमले कराएगा.

पाकिस्तान के लोग इन आरोपों से पूरी तरह इनकार तो करते हैं लेकिन ये सच अपनी जगह क़ायम है कि वहाँ स्थित इस्लामी चरमपंथी गुट भारत के ख़िलाफ़ कश्मीर में लड़ाई लड़ते रहे हैं.

संबंध से इंकार

इन्हीं में से एक प्रमुख चरमपंथी गुट लश्करे-तैबा पर भारत की संसद पर 2001 में हुए हमले में शामिल होने का आरोप है, इस हमले ने दोनों देशों को युद्ध के कगार पर ला दिया था.

पाकिस्तान विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को संबंधों में दरार आने की आशंका है

पाकिस्तानियों का कहना है कि भारत अपने आरोपों में वास्तविकता का ध्यान नहीं रखता है.

रक्षा विशेषज्ञ हसन अस्करी रिज़वी ने एक स्थानीय दैनिक समाचार पत्र में लिखा, “यह बहुत दिलचस्प है कि भारत की सुरक्षा एजेंसियाँ इतनी बड़ी साज़िश का पता लगाने में तो नाकाम हो गईं और सारा समय पाकिस्तानी गुटों पर आरोप लगाने में बर्बाद कर दिया.”

उन्होंने कहा है, “अगर वे जान गए थे कि इसके लिए ज़िम्मेदार कौन है तो वे इसे क्यों नहीं रोक पाए? भारत को घर में ही पल रहे कट्टरवाद के सच को समझना चाहिए, अपनी समस्याओं के लिए पाकिस्तान पर आरोप लगाने की निरर्थकता को समझना चाहिए.”

वास्तविकता से दूर

रिज़वी ने पाकिस्तान के लोगों की लगभग आम राय को व्यक्त किया है, भारत पिछले कुछ सालों में अपने ही देश में पल रहे कुछ इस्लामिक गुटों से पैदा होने वाली समस्याओं को नकारता आया है जिसकी जड़ें मुसलमानों के साथ भेदभाव और सांप्रदायिक हिंसा में है.

फरवरी 2007 में नई दिल्ली और लाहौर के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में हुई बमबारी का आरोप सबसे पहले पाकिस्तान पर लगाया गया था, लेकिन बाद में इसका संबंध एक हिंदू उग्रवादी संगठन से बताया जाने लगा.

पाकिस्तान की सरकार और सेना दोनों ने ही भारत को आगाह किया है कि वह जल्दबाज़ी में किसी निर्णय पर पहुँचने से बचे.

तार पाकिस्तान से जुड़े हैं

राजनीतिक नेताओं ने मुंबई हमलों की निंदा करते हुए इसकी जाँच में बिना शर्त सहायता देने की पेशकश की है और इसमें किसी पाकिस्तानी सूत्र के होने पर उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का वायदा किया है.

पिछले साल जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ के नेतृत्व वाली सरकार के जाने के बाद वे भारत के साथ किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहते हैं.

विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा, “मैं चिंतित हूँ क्योंकि मैं इससे अगली कार्रवाई समझ सकता हूँ. हमें सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए क्योंकि स्थिति काफ़ी गंभीर है और भारत के लोग इसे अपना 9/11 की तरह बता रहे हैं.”

संबंधों में दरार

उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि संबंधों में आई यह दरार जल्द ही भर जाएगी.

शनिवार को एक वरिष्ठ सेना अधिकारी ने कहा कि अगर भारत अपनी सेना बढ़ाएगा तो वे भी उसी तरह से जवाब देंगे.

भारतीय नेताओं ने पाकिस्तान पर दबाव डाला कि वह ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख को भारत भेजे जिसके लिए पाकिस्तान पहले तैयार हो गया लेकिन बाद में एक बैठक करके निर्णय लिया गया कि आईएसआई के प्रमुख नहीं बल्कि एक प्रतिनिधि को भेजा जाएगा.

राष्ट्रपति आसिफ़ ज़रदारी ने इसे संवाद की कमी बताया, तो दूसरों ने इसकी घोषणा करने से पहले सेना से सलाह न लेने का परिणाम बताया.

ज़रदारी ने वादा तो कर दिया था लेकिन पाकिस्तान की सेना इसके लिए तैयार नहीं हुई और निर्णय बदलना पड़ा.

यह देखना अभी बाकी है कि अमरीका और भारत के दबाव से दोनों देशों के संबंधों में आई यह खटास और बढ़ती है या नहीं.

पाकिस्तान की प्रमुख पार्टियों की शांति की अपील के बावजूद कराची में हिंसा जारी है.

सरकारी प्रवक्ता ने कहा है कि अज्ञात बंदूकधारियों के हमलों में शनिवार से अब तक कम से कम 24 लोग मारे गए हैं.

लेकिन अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि मरने वालों की संख्या 35 से ज़्यादा हो सकती है.

यह हिंसा देश की अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) और मुत्तहिदा क़ौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के बीच महीनों से चल रहे तनाव का नतीजा है.

एएनपी ज़्यादातर उत्तर-पश्चिम और अफ़ग़ानिस्तान के पश्तूनों का प्रतिनिधित्व करती है जबकि एमक्यूएम उर्दूभाषी लोगों का प्रतिनिधित्व करती है.

आगज़नी

कार और मोटरसाइकिलों पर चलने वाले बंदूकधारी अंधाधुंध फ़ायरिंग करके पैदल चलने वालों और कार चालकों को निशाना बना रहे हैं.

कुछ इलाकों में आगजनी भी की जा रही है विरोधी समुदाय के घरों और व्यापार को निशाना बनाया जा रहा है.

कराची की सड़कों पर पुलिस के अलावा कोई और नज़र नहीं आ रहा है.

क़रीब डेढ़ करोड़ की जनसंख्या वाले कराची में ज़्यादातर उर्दू भाषी लोग रहते हैं जो 1947 में भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए थे.

कराची में सूबा सरहद प्रांत से आने वाले पश्तूनों की तादाद भी काफ़ी है.

सूबा सरहद में चल रहे सैनिक ऑपरेशन की वजह से हज़ारों की संख्या में कराची से लगे इलाकों में पश्तूनों को हाल ही में बसाया गया है.

एमक्यूएम के नेता सार्वजनिक रूप से इस समुदाय में तालेबान की घुसपैठ होने का डर फैला रहे हैं.

अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के तालेबान में भी ज़्यादातर पश्तून हैं.

एएनपी ने इसे कराची के पश्तूनों के ख़िलाफ़ साज़िश बताते हुए एमक्यूएम के बयान की आलोचना की है.

तनाव बढ़ा

पुलिस का कहना है कि पिछले दो सप्ताहों के दौरान एमक्यूएम के प्रभुत्व वाले इलाकों में उनके ही माने जाने वाले कार्यकर्ताओं ने पश्तूनों की चाय और लकड़ी आदि की दुकानें ज़बरदस्ती बंद करवा दी हैं.

उन्होंने कहा कि शहर के विभिन्न इलाकों में पश्तूनों के वाहनों पर हमले किए जा रहे हैं जिसने सांप्रदायिक तनाव को और बढ़ाया है.

पुलिस के अनुसार, यह हिंसा कराची के उत्तर में स्थित एमक्यूएम के प्रभुत्व वाले इलाक़े के पास एक पश्तून चायवाले को मार दिये जाने के बाद शनिवार से शुरू हुई.

पश्तूनों ने कराची से आने और जाने के अपने नियंत्रण वाले अधिकतर रास्ते बंद कर दिए हैं जिनमें से ज़्यादातर एएनपी के समर्थक हैं.

पाकिस्तान की तीन मुख्य पार्टियाँ- एमक्यूएम, एएनपी और राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी की पीपीपी- देश में तनाव को कम करने के लिए मिल गई हैं.

लेकिन उनकी अपील पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

मुंबई में हुए चरमपंथी हमलों के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव ख़ासा बढ़ गया है.

पाकिस्तान से माँग की गई है कि वह उन भगोड़ों और चरमपंथियों को भारत को हवाले करे जो वहाँ रह रहे हैं.

पिछले हफ़्ते मुंबई में कई जगहों पर किए गए चरमपंथी हमलों में 189 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी और अनेक घायल हो गए थे.

भारत के विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी ने समाचार एजेंसियों को बताया कि सोमवार की रात जब दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायुक्त के साथ बैठक में भारत ने अपनी शिकायत दर्ज कराई थी तब इन संदिग्ध चरमपंथियों की सूची भी उन्हें सौंपी गई थी.

‘गिरफ़्तार करें, भारत को सौंपें’

उन्होंने बताया, “भारत ने कहा है कि पाकिस्तान में रह रहे उन सभी लोगों को गिरफ़्तार किया जाए और भारत के हवाले किया जाए जिनकी क़ानून के तहत भारत में तलाश है. ये सूची बदलती रहती है लेकिन ऐसे क़रीब 20 लोगों की सूची हमने पाकिस्तान को दी है.”

भारत ने कहा है कि पाकिस्तान में रह रहे उन सभी लोगों को गिरफ़्तार किया जाए और भारत के हवाले किया जाए जिनकी क़ानून के तहत भारत में तलाश है. ऐसे क़रीब 20 लोगों की सूची हमने पाकिस्तान को दी है

प्रणव मुखर्जी

इस सूची में वर्ष 1993 में मुंबई में हुए चरमपंथी हमलों के कथित ‘मास्टरमांइड’ दाउद इब्राहिम और कश्मीर में सक्रिय रहे मौलाना मसूद अज़हर शामिल हैं.

भारत ने इन लोगों को ‘मोस्ट वांटेड’ की सूची में रखा है.

ग़ौरतलब है कि भारत का दावा है कि माफ़िया सरगना दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान में है जबकि पाकिस्तान इसे ग़लत बताता रहा है.

पाकिस्तान ने कहा है कि वह सूची मिलने पर उसका अध्ययन करेगा और फिर प्रतिक्रिया देगा. उधर पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा है कि ये नाज़ुक वक़्त है और “आतंकवाद भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के लिए चुनौती है”.

पाकिस्तान ने कहा है कि उसने भारत के सामने संयुक्त जाँच की पेशकश रखी है. लेकिन पाकिस्तान ने ये भी कहा है कि भारत को पुख़्ता सबूत देने चाहिए कि इन चरमपंथी हमलों में पाकिस्तान का हाथ था.

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