एक अमरीकी संगठन के अनुसार अमरीका का असरदार राजनीतिक और सैनिक प्रभाव रखने वाले देश के रूप में अमरीका की छवि आने वाले सालों में कमज़ोर होगी.
अमरीकी नेशनल इंटेलिजेंस काउंसिल का कहना है कि चीन, भारत और रूस से अमरीका को कड़ी चुनौती मिलेगी.
रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले समय में लोकतंत्र का पश्चिमी मॉडल उतना आकर्षक नहीं रहेगा.
यही नहीं पूरी दुनिया में मुख्य मुद्रा के रुप में स्वीकार्य अमरीकी डॉलर अपनी चमक खो बैठेगा.
हालाँकि रिपोर्ट ये भी कहती है कि ये सब अभी से तय नहीं माना जा सकता बल्कि यह इस पर निर्भर करेगा कि दुनिया भर के नेता किस तरह के क़दम उठाते हैं.
चीन का उत्थान
चीन के बारे में कहा गया है कि यह वर्ष 2025 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और बड़ी सैनिक ताक़त के रुप में उभरेगा.
भारत के बारे में कहा गया है कि यह देश अपने आपको ‘उभरते हुए चीन और अमरीका के बीच राजनैतिक-सांस्कृतिक पुल’ के रूप में स्थापित करने की कोशिश करेगा.
विश्लेषकों के मुताबिक भारत में तेज़ी से उभरते मध्य वर्ग, युवाओं की बड़ी तादाद, खेती पर निर्भरता में कमी, घरेलू बचत दर और निवेश दर में वृद्धि से आर्थिक विकास दर को और गति मिलेगी.
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि दुनिया और बहुध्रुवीय हो जाएगी. मौजूदा राजनीतिक और जातीय मौजूदा विवाद एक नई शक्ल में सामने होंगे, बढ़ती जनसंख्या और बढ़ती आर्थिक विकास दर के कारण प्रकृतिक संसाधनों पर बोझ ज्यादा होगा.
यूरोपीय संघ की हालत ख़स्ता
यूरोपीय संघ की हालत और ख़राब हो सकती है, एक लड़खड़ाती हुई अर्थव्यवस्था के साथ वो न तो अपनी कूटनीति को असरदार बना पाएगा, न ही उसकी सैन्य क्षमता बरक़रार रह पाएगी.
पाकिस्तान का भविष्य पूरी तरह अनिश्चित बताया गया है, जिससे अफगानिस्तान सबसे ज्यादा प्रभावित होगा, रिपोर्ट में पाकिस्तान के सरहदी सूबे और कबाइली इलाकों में प्रशासन ढीला ही रहेगा जिससे सीमा पार तक अस्थिरता का ये दौर यूं ही जारी रहेगा.
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अगर इन इलाकों में पाकिस्तान अपने प्रशासन को संभाल नहीं पाया तो पठानों की ताकत उभरने का पूरे आसार हैं.
जहाँ तक अफगानिस्तान की बात है, रिपोर्ट में कहा गया है कि वहाँ भी सांप्रदायिक और क़बायली विवाद बढेंगे और वहां पश्चिमी देशों की विकास परियोजनाओं के संसाधनों पर कब्ज़े की लड़ाई में तबदील होने के आसार हैं.
ईरान, इंडोनेशिया औऱ तुर्की को इस रिपोर्ट में भविष्य की उभरती हुई ताकतों के रूप में देखा गया है.
इस रिपोर्ट में एक बात बड़ी साफ़ कही गई है कि अमरीका के अपना प्रभुत्व खो देने का कारण आर्थिक संकट औऱ चीन का बड़ी आर्थिक ताक़त के रूप में उभरना तो रहेगा ही लेकिन अमरीका के अपने फैसले और उसकी नीतियां, उसके लिए ज्यादा ज़िम्मेदार रहेंगी.
इराक पर हमले ने एक तो अमरीका को उसकी सैन्य ताकत की सीमाएं दिखा दीं और दूसरे ये भी समझा दिया कि एक अलग समाज में वो अपने तथाकथित पश्चिमी लोकतंत्र के आदर्श को नहीं बेच सकेगा.