तस्वीरों में- सौरभ गांगुली की करियर


भारत के सफलतम कप्तान रहे और आक्रामक क्रिकेटर सौरभ चंडीदास गांगुली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया है. आइए नज़र डालते हैं उनके करियर पर


गांगुली ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत वनडे मैच से की थी. उन्होंने अपना पहला वनडे 1992 में वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ खेला था


इसके चार साल बाद यानी वर्ष 1996 में गांगुली ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की. इंग्लैंड के ख़िलाफ़ लॉर्ड्स में हुए अपने पहले टेस्ट मैच में उन्होंने शतक लगाकर बेहतरीन शुरुआत की


मैच फ़िक्सिंग विवाद के बाद सौरभ गांगुली को वर्ष 2000 में भारतीय टीम की कप्तानी सौंपी गई. उस समय तक गांगुली ने अपने आप को वनडे मैचों में भी स्थापित कर लिया था


कप्तान गांगुली और कोच जॉन राइट के कार्यकाल में भारतीय क्रिकेट को नई ऊँचाई मिली और गांगुली की कप्तानी में भारत को कई शानदार जीत मिली


सौरभ गांगुली के रूप में भारत को एक आक्रामक कप्तान मिला. भारतीय टीम में भी गुणात्मक सुधार हुआ और इसका लाभ भी टीम को मिला


वर्ष 2003 में गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम विश्व कप के फ़ाइनल तक पहुँची. लेकिन ग्रेग चैपल के कोच बनने के बाद कप्तान और कोच के रिश्ते में दरार आनी शुरू हुई


ग्रेग चैपल के एक ई-मेल ने रही-सही कसर पूरी कर दी. और आख़िरकार गांगुली से कप्तानी छीन ली गई.


गांगुली के लिए अभी और परेशानी आनी बाक़ी थी. ख़राब प्रदर्शन के कारण उन्हें टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया


लेकिन गांगुली ने हिम्मत नहीं हारी. घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करके उन्होंने टीम में वापसी की


लेकिन वनडे टीम में गांगुली का आना-जाना लगा रहा. गांगुली इससे काफ़ी निराश थे


वनडे में गांगुली और तेंदुलकर की सलामी जोड़ी एक समय सर्वश्रेष्ठ जोड़ी मानी जाती थी. लेकिन समय के साथ ये जोड़ी भी टूट गई


गांगुली को इस साल शुरू में ऑस्ट्रेलिया में हुई वनडे प्रतियोगिता की टीम से अलग रखा गया, जिससे गांगुली काफ़ी आहत थे


ईरानी ट्रॉफ़ी की टीम में जगह नहीं मिली तो लगा ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ गांगुली नहीं खेलेंगे. लेकिन गांगुली को टीम में जगह मिली. लेकिन सिरीज़ शुरू होने से पहले घोषणा कर दी कि वे नागपुर टेस्ट के साथ ही संन्यास ले लेंगे


नागपुर टेस्ट सौरभ गांगुली का आख़िरी टेस्ट था. जिसकी पहली पारी में उन्होंने 85 रन बनाए तो दूसरी पारी में खाता भी नहीं खोल पाए