अमरीकी चुनाव: दक्षिण एशियाइयों का दख़ल | |||||
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अमरीका में बॉबी जिंदल को गवर्नर बने अभी ज़्यादा दिन नहीं गुज़रे है, इस बीच एक और भारतीय मूल का अमरीकी युवा कांग्रेस की कठिन
स्पर्धाओं में शामिल हो गया है. डेमोक्रेट पार्टी के अश्विन मादिया मिनेसोटा के एक ऐसे सीट से चुनाव लड़ रहे हैं जो 1960 से रिपब्लिकन पार्टी की रही है. 30 वर्षीय मादिया इराक़ में काम कर चुके हैं और बौद्धिक संपदा मामलों के वकील हैं. यदि वह जीतते हैं तो वो तीसरे भारतीय होंगे जो अमरीकी कांग्रेस में प्रवेश करेंगे. राजनीति में जाने को तैयार आत्मविश्वास से लबरेज दूसरी पीढ़ी के दक्षिण एशियाई, चिकित्सा, कंप्यूटर और व्यापार को छोड़कर कैरियर के रूप में राजनीति को गले पुरानी पीढ़ी के विपरीत ये भारतीय राजनीतिक मंच पर भी दखल चाहते हैं. सत्ताइस वर्षिय साई रेड्डी भारतीय मूल के अमरीकी हैं जो रीयल इस्टेट एजेंट है. 2000 में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन का भाषण सुनने उनके बड़े भाई ने 2006 में जॉर्जिया में सचिव के पद के लिए चुनाव लड़ा था और अब उन्होंने ख़ुद को राज्य की राजनीति के लिए समर्पित रेड्डी कहते हैं, ”हममें से जो यहाँ पैदा हुए वो यह जानते हैं कि इस देश में हमारी संस्कृति और समुदाय का कितना कुछ दांव पर बराक ओबामा के साथ |
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ओहायो के वकील माइकल ठाकुर, रेड्डी की सोंच का समर्थन करते हैं और डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति उम्मीदवार बराक ओबामा के चुनाव अभियान माइकल ठाकुर कहते हैं, ” देर से सही लेकिन निश्चित रूप से, दक्षिण एशियाई युवा अमेरिकी राजनीति में प्रवेश कर रहे हैं और अमरीका माइकल ठाकुर के अनुसार कानूनी फर्म में उनकी नौकरी पक्की है लेकिन वो राजनीति में प्रवेश को ज़रूरी मानते हैं. दक्षिण एशियाई लोग डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टियां दोनो के अभियान में काफ़ी तादाद में शामिल हैं और इस अभियान में ओबामा कि हिलेरी क्लिंटन की क़रीबी सहयोगियों में नीरा टंडन रहीं हैं जो भारतीय मूल की ही हैं. मतदाताओं की तादाद में भी इज़ाफ़ा हो रहा है जिसने राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को मजबूर किया है वो दक्षिण एशियाई आप्रवासियों प्रवेश द्वार बनेगा |
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कई लोग ये सोंचते हैं कि ओबामा की अभूतपूर्व सफलता अधिकतर अप्रवासियों को राजनीति में प्रवेश करने के लिए रास्ता तैयार करेगी. रमेश कपूर जो कि डेमोक्रेट के लिए फ़ंड इकठ्ठा करने वालों में से एक हैं ऐसा ही सोचते हैं. वो कहते हैं, ” चूंकि ओबामी अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं, बहुत सारे लोगों का विचार है कि अगर वे जीत जाते हैं तो हम लोगों का अतहर पाशा ने 40 साल पहले कराची छोड़ दिया था और अब टेक्सास में रह रहे हैं, वो कहते हैं कि पाकिस्तान उन्होंने कभी भी एक स्वतंत्र अतहर पाशा के अनुसार उनका 21 वर्षीय बेटा राजनीति में काफ़ी सक्रिय है और अगर कुछ बनता है उन्हे आश्चर्य नहीं होगा. |
November 5, 2008
अमरीकी चुनाव: दक्षिण एशियाइयों का दख़ल
Posted by Social Geek under BBc, HINDI, News, Rediff, Welcome | Tags: अमरीकी चुनाव, अमरीकी युवा कांग्रे, अश्विन मादिया मिनेस, कंप्यूटर, गवर्नर, चिकित्सा, डेमोक्रेट, डेमोक्रेट पार्टी, दक्षिण एशियाइयों, फ़ंड, बॉबी जिंदल, बौद्धिक संपदा, भारतीय, भारतीय मूल, माइकल ठाकुर, रमेश कपूर, रीयल इस्टेट एजेंट, व्यापार, साई रेड्डी, हिलेरी क्लिंटन, election, obama, USA |Leave a Comment
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